सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

muktak

                         मुक्तक
तुम्हारा बोलना है क्या हमें कोयल बताती है
तुम्हारे रूप की निखरन नई कोंपल जताती है
तुम्हारी कल्पनाओं में बुने हैं नयन ने सपने
हवा के मंद झोंकों से तुम्हारी  गंध आती है ।
                                         - आशावादी

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

muktak

परिंदे हैं तो ऊँची उड़ान है
उनका मुकम्मल जहान है
उड़ने दें  बेख़ौफ़ नभ में
उनका ही ये आसमान है ।
              - आशावादी 

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

                   मुक्तक
सूर्य के आगमन से तम को छँटना  है
भोर के नवजागरण  से पुष्प खिलना है
चिरनिद्रा में आदमी को सना है एक बार
नित्य सोकर के उसे अभ्यास करना है ।

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

haiku

      हाइकु

हाथ में छाले
लिए कुदाले,पर
दूर निवाले ।
     [२]
ताजमहल
मरण के बाद
प्रेम निशानी ।
     [३]
बंज़र कोख
मगर उर उगी
प्रेम फसल ।
  - आशावादी 
























मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

                    मुक्तक
फिर अभावों में कोई भूखा मरा है
संवेदनाओं का यहाँ सूखा पड़ा   है
है नहीं चर्चा किसी ऊँची हवेली में
रुख सियासत का कहीं रूखा हुआ है ।
                        - आशावादी

रविवार, 12 फ़रवरी 2012

                           ग़ज़ल   
जँगलों में बस्तियों  में आग आग तूफ़ान है 
आजकल अपने ही घर में आदमी मेहमान है ।
हमसफ़र वो क्या बनेगा,ज़िक्र उसका क्या करें
इल्म है दुनियां का  जिसको दर्द से अनजान है 
जिंदगी मजदूर  की अब चीखती फुटपाथ  पर  
लाश ढोती भीड़  में क्या एक भी इंसान   है ?
बादलों में छिप न पायेगा 'सुधाकर' का वजूद 
चाँदनी जी भर लुटाने में ही जिसकी शान है ।।
                  - सुधाकर आशावादी  

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

muktak

                       मुक्तक    
तुम्हारा बोलना है क्या हमें कोयल बताती है 
तुम्हारे रूप की निखरन नई कोंपल जताती है 
तुम्हारी कल्पनाओं में बुने हैं नयन ने सपने 
हवा के मंद झोंकों से तुम्हारी गंध आती है ।।
                        - डॉ. सुधाकर आशावादी 

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

muktak

                      muktak    
ध्वंस की   ये धरा न   गगन  चाहिए
ज्ञान   में  हो मगन  वो नमन चाहिए   
गोला बारूद के अब खिलौने न  हों
हो सुगन्धित धरा    वो चमन चाहिए . .
                   [2]
डर के रहता  है जो  वो नहीं वीर है
हर कदम पर लिए डर की जो पीर  है
मृत्यु  है, पाप है, नर्क  है, भय यहाँ
इसको काटेगीजो वो ही शमशीर   है
                   - सुधाकर आशावादी 

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

muktak

आँधियाँ भंवर भंवर में नाव है
जिंदगी  नदी लहर तनाव है ।।
                पंडित आशुतोष 

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

घर के बासन भी अब खनखनाने लगे
दर  ये   अलगाव के खटखटाने लगे
प्यार  घटने लगा है यहाँ इस कदर
लोग मिलने में भी नकनकाने लगे।

पीड़ा में दर्द की सी चुभन ही नहीं
आग में आग की सी अगन ही नहीं
जिंदा लाशें बने लोग फिरते यहाँ
खून में खून की सी तपन ही नहीं ।।
                         - डॉ. सुधाकर आशावादी

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

                         मुक्तक
मत हवाओं से डरो तुम जगमगाओ
पीर  उर में लाख हो पर  मुस्कराओ
अब अँधेरा काल बन डसने न पाए
भोर होगी तुम नया सूरज उगाओ   ।। 
                      [२]
सच कड़वा है फिर भी इससे प्रीत करो
झूठ मिटे जग से कुछ ऐसी रीति करो
भौतिकता है भरम नहीं है अपनापन
हारे न तन-मन कुछ ऐसी जीत लिखो ।।
                             - डॉ. सुधाकर आशावादी

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012


                     मुक्तक
आँख के अंधे नाम नैनसुख बात पुरानी है
आँख खुली पर अंधे दिखना नई कहानी है 
संबंधों की बात करें तो खोया अपनापन
रक्तिम आभा छोड़ बुढ़ापा चुने जवानी है।|
                     [२]
नफरतों का दौर बढ़ता जा रहा है 
आदमी विश्वास छलता जा रहा है 
आग की भट्टी का कैसे दोष माने 
खोट सोने संग पिघलता जा रहा है ।। 
                        -डॉ. सुधाकर आशावादी

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

muktak

सूरज को दीपक दिखलाना बंद करो
अच्छाई पर मुंह बिचकाना बंद करो
सच्चाई कब लाख छुपाये छुपती है
जो सच है उसको झुठलाना बंद करो

फिर नसों में रक्त का संचार हो
स्वार्थ पूरित न कोई विस्तार हो
राष्ट्र चिंतन से जुड़े हर आचरण
सर्जनाओं से भरा संसार हो ।।
                      -डॉ. सुधाकर आशावादी