बुधवार, 21 नवंबर 2012

======मुक्तक=========
आदमी है आदमी सी बात कर
न कभी तू किसी से घात कर
आचरण तेरा अनूठा हो सदा
नफरतों की न कभी बरसात कर ।।
=============आशावादी 
=====मुक्तक ================
ह्रदय की गहराई से मैंने तुमको चाहा है
पर तुमने कब मुझको मेरे जैसा चाहा है
एक कसक है अपनाने की मेरे मन में
पर तूने ऐसा कब अपने मन से चाहा है ?
=====================आशावादी  

शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

साँप की बेचैनी इस हद तक है
उसकी अपनी हद ही हद तक है
कैसे डसे कैसे फुंफकार मारे
कोई डरता नही अब
उसके जहर की हद से ।
=========== आशावादी 

सोमवार, 12 नवंबर 2012

शिक्षकों [जीवन-दीपों] के नाम :
प्रकाश के स्तम्भ हो तुम देश की पहिचान हो 
तुम धरा उज्जवल बनाते और देते ज्ञान हो 
आज तुमसे ही धरा यह प्रकाश पाती 
और तुम ही देश की अनुपम हो थाती ।।
-------------डॉ.सुधाकर शर्मा "आशावादी "
वरिष्ठ प्रवक्ता:शिक्षा संकाय [बी.एड.]
ने.में.शि.न,दास महाविद्यालय,बदायूँ 
सम्बद्ध:एम-जे-पी-रूहेलखंड वि.वि.,बरेली 

गुरुवार, 8 नवंबर 2012

फिर पढेंगे प्रीत की पुस्तक
प्रीत की या रीत की पुस्तक
नफरतें मिट जाएं मन से
सच में ऐसी गीत की पुस्तक ।
============आशावादी 
कृत्रिमता से दूर एक नन्हा सा दिया
सोचता है क्या भला कर पाऊंगा मैं
क्या धरा का तम हरूँगा
या स्वयं ही मैं मिटूंगा ?
संग लेकर तेल बाती चल पड़ा
हौंसला लेकर बड़ा वह चल पड़ा
तम हरा उसने अँधेरी कोठरी का
और दिखलाया असर अपने करम का
जिसने बितराया उसे ऊंची हवेली में
वो भी टिक पाया नहीं कुछ देर तक भी
वह दिया था जिसने सीखा था स्वयं ही
दहना दह कर और के हित सुख संजोना
दूसरो के सुख में स्व अस्तित्व खोना ।।
---------------सुधाकर आशावादी