sudhasha
शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018
तेरी इंसानियत ने मुझे इस कदर लुभाया है
भूल गया हूँ मैं मज़हब की संकरी गलियाँ .
@ सुधाकर आशावादी
गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018
मुझे पसंद आया उसका अंदाज़
मज़हबी सोच से परे कुछ खास
इंसानी रिश्तों का मधुर एहसास
राह-ए-सफर में हुआ अनायास.
बुधवार, 7 फ़रवरी 2018
बिगड़ जाते हैं समीकरण कल्पनाओं के
समय का ऊँट लेता है जब करवटें अपनी.
@ सुधाकर आशावादी
मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018
जिंदगी तू कितना ही मुझे भटका पथरीली राहों पर
मैं भी जिद्दी हूँ... हार नहीं मानूंगा जीत मिलने तक .
@ सुधाकर आशावादी
शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018
चाहता हूँ सलीके से कोई बात कहूँ
पर मेरी साफगोई चापलूस नहीं है.
@ सुधाकर आशावादी
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