गुरुवार, 23 जून 2016

चाहतें कहती हैं मुट्ठी में भर लूं सारे जहाँ की खुशियाँ
दिमाग की ख्वाहिश है, मिल बाँट कर दोगुना कर लूं .
- सुधाकर आशावादी

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