बुधवार, 4 जनवरी 2012

muktak

                          मुक्तक
चल रहे हैं दौर विष के  देवता  के आवरण  में
रात की काली लता है भोर के पहले  चरण में
देश का दुर्भाग्य चिंतन क्या भला तुलसी करेगा
साथ देते हैं जटायु  आज   के   सीता हरण में .
                                         - सुधाकर आशावादी 

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