बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

muktak

सूरज को दीपक दिखलाना बंद करो
अच्छाई पर मुंह बिचकाना बंद करो
सच्चाई कब लाख छुपाये छुपती है
जो सच है उसको झुठलाना बंद करो

फिर नसों में रक्त का संचार हो
स्वार्थ पूरित न कोई विस्तार हो
राष्ट्र चिंतन से जुड़े हर आचरण
सर्जनाओं से भरा संसार हो ।।
                      -डॉ. सुधाकर आशावादी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें