मंगलवार, 14 अक्तूबर 2014

देश की पहिचान किस से कौन जाने कौन समझे
देश की अब शान किस से कौन जाने कौन समझे
देश का अपमान जिनकी है यहाँ कुत्सित सियासत
देश का अभिमान किस से कौन जाने कौन समझे ?
- सुधाकर आशावादी

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