बुधवार, 3 मार्च 2021

 ज़िंदगी तुझपे ऐतबार तो है, पर न जाने क्यों लगता है मुझे 

तू खेल रही है भावनाओं से और पल पल छल रही है मुझे। 

@ सुधाकर आशावादी 

सोमवार, 1 मार्च 2021

 जितना भी व्यस्त रख सके 

उतना स्वयं को व्यस्त रख

जाने कब थम जाए कारवाँ श्वांसों का ?

शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

जिंदगी ख्वाबों में तू मेरी यादों में तू
जिंदगी तू हकीकत में क्यूँ नहीं ?
@ सुधाकर आशावादी 
जिंदगी ख्वाबों में तू , यादों में तू 
जिंदगी तू हकीकत क्यूँ नहीं ?
@ सुधाकर आशावादी 

शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

कृपा बरसे तुझ पर सारे जहान की
तू धरती पे रहे बात हों आसमाँ की
तेरी प्रगति पे गर्व की अनुभूति हो
हो ऐसी किस्मत मेरे हिन्दोस्तां की.
@ सुधाकर आशावादी

मंगलवार, 6 मार्च 2018

फेंक कंकड़ शान्त गहरी झील में
पूछते पानी में हलचल क्यूँ मची ?
कितने समझौते करेगी ज़िंदगी
बेबसी तेरी समझ आती मुझे।