sudhasha
शुक्रवार, 31 अगस्त 2018
कृपा बरसे तुझ पर सारे जहान की
तू धरती पे रहे बात हों आसमाँ की
तेरी प्रगति पे गर्व की अनुभूति हो
हो ऐसी किस्मत मेरे हिन्दोस्तां की.
@ सुधाकर आशावादी
मंगलवार, 6 मार्च 2018
फेंक कंकड़ शान्त गहरी झील में
पूछते पानी में हलचल क्यूँ मची ?
कितने समझौते करेगी ज़िंदगी
बेबसी तेरी समझ आती मुझे।
शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018
तेरी इंसानियत ने मुझे इस कदर लुभाया है
भूल गया हूँ मैं मज़हब की संकरी गलियाँ .
@ सुधाकर आशावादी
गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018
मुझे पसंद आया उसका अंदाज़
मज़हबी सोच से परे कुछ खास
इंसानी रिश्तों का मधुर एहसास
राह-ए-सफर में हुआ अनायास.
बुधवार, 7 फ़रवरी 2018
बिगड़ जाते हैं समीकरण कल्पनाओं के
समय का ऊँट लेता है जब करवटें अपनी.
@ सुधाकर आशावादी
मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018
जिंदगी तू कितना ही मुझे भटका पथरीली राहों पर
मैं भी जिद्दी हूँ... हार नहीं मानूंगा जीत मिलने तक .
@ सुधाकर आशावादी
शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018
चाहता हूँ सलीके से कोई बात कहूँ
पर मेरी साफगोई चापलूस नहीं है.
@ सुधाकर आशावादी
बुधवार, 31 जनवरी 2018
खुशनसीब हूँ , जो तूने मन की बात सुनी
उससे पूछ जिसकी किसी ने कुछ न सुनी .
@ सुधाकर आशावादी
धड़कनों को सुनों मत धड़कने दो
यहीं हैं जो देह का वजूद बनाती हैं .
@ सुधाकर आशावादी
मंगलवार, 9 जनवरी 2018
उसने गैरों में जाकर बुराई की अपने घर की
जैचंद न कहूँ तो क्या कहकर पुकारूँ उसको ?
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)