शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

कैसे कैसे रिश्ते, जिनमे बौनापन है
खून के रिश्तों से खोया अपनापन है
किसको मानें अपना किसको गैर कहें
साथ निभाएगा सिर्फ जो अपना तन है ।।
फिर अंधेरों की सियासत है
उनकी अपनी ही रियासत है
कैसे बोलें कैसे चुप रहें
आज कैसी ये रिवायत है ?

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

     " हिन्दी दिवस पर विशेष "
सूर तुलसी ने सींचा जिसे प्यार से 
और कबीरा ने बाँचा था तकरार से 
मीरा के कंठ को शब्द जिसने दिए 
हिन्दी तुझको नमन आज सत्कार से ।।