शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

शुभ रात्रि :

नींद आने से पहले ही थकन होना ज़रूरी हैं 
यहाँ सत्कर्म से पहले लगन होना ज़रूरी है  
धरा के जीव जंतु भी परस्पर प्यार करते हैं 
हमें हर काज में मित्रों मगन होना ज़रूरी है । 
- सुधाकर आशावादी 
मुक्तक 

नींद आने से पहले ही थकन होना ज़रूरी हैं 
यहाँ सत्कर्म से पहले लगन होना ज़रूरी है  
धरा के जीव जंतु भी परस्पर प्यार करते हैं 
हमें हर काज में मित्रों मगन होना ज़रूरी है । 
- सुधाकर आशावादी 

गुरुवार, 5 सितंबर 2013

मुक्तक  :

विकृति और संत सरीखा आचरण 
है विद्रूपित ज़िन्दगी की व्याकरण 
झाँकिये अपने सभी अंतस ह्रदय में 
किसने नहीं ओढ़ा यहाँ यह आवरण ?
- सुधाकर आशावादी 

बुधवार, 4 सितंबर 2013

रोटी का पहाड़ा

- डॉ. सुधाकर आशावादी 
रोजी रोटी के फेर में 
जूझता एक अदद उत्तरदायित्व 
सुबह से शाम तक भटकता है 
उम्मीदों भरी आँखें लिए 
तब कहीं जुटा पाता है 
अपने घोंसले के परिंदों के लिए 
दाना पानी।
मार्ग में मिलते हैं उसे 
अनेक दिशानायक 
जो दिखाते हैं उसे अनगिन राह 
पढ़ाते हैं पहाड़ा जीवन दर्शन का 
जो बैठे मिलते हैं 
चकाचौंध रोशनी भरे पंडालों में 
धवल वस्त्र धारी / पीत वस्त्र धारी।  
वह नहीं जानता 
कौन है इस सृष्टि का रचनाकार 
वह साकार है या निराकार ?
वह सिर्फ इतना ही समझता है 
जो उसे रोटी का पहाड़ा सिखाएगा
भूख से कुलबुलाती अंतड़ियों को 
सुकून दिलवाएगा 
वही उसका परमात्मा बन जाएगा। 

मुक्तक :

चैन की नींद आए,सो सोने से पहले 
आओ स्वयं से ही कोई बात कर लें 
भ्रमित हो गए हों किसी दुष्ट से तो 
भरम दूर करके ह्रदय साफ़ कर लें। 
- सुधाकर आशावादी