बुधवार, 3 मार्च 2021

 ज़िंदगी तुझपे ऐतबार तो है, पर न जाने क्यों लगता है मुझे 

तू खेल रही है भावनाओं से और पल पल छल रही है मुझे। 

@ सुधाकर आशावादी 

सोमवार, 1 मार्च 2021

 जितना भी व्यस्त रख सके 

उतना स्वयं को व्यस्त रख

जाने कब थम जाए कारवाँ श्वांसों का ?