बुधवार, 22 मई 2013

मुक्तक
क्यों भ्रमित होता अभागे तू लकीरों से
क्यों तू खुशियाँ मांगता है आज पीरों से
सुख सभी भीतर हैं तेरे ढूंढ भीतर ही
कैसे जीते है धरा पर, पढ़ फकीरों से ॥
- सुधाकर आशावादी 

मंगलवार, 14 मई 2013

मुक्तक :
नींद के आगोश में मैं आज सोना चाहता हूँ 
प्रीत के आगोश में मैं आज खोना चाहता हूँ 
नींद आये तो मिटेगी आज आँखों की थकन 
मीत के सपनों में खुद को मैं डुबोना चाहता हूँ ।। 
- सुधाकर आशावादी 

सोमवार, 13 मई 2013

मुक्तक =============
हैं अधूरी हसरतें कब पूर्ण होंगी ?
कष्ट में कुछ राहतें कब पूर्ण होंगी ?
हो भले संताप पर उम्मीद रखिये
वक्त बदलेगा चाहतें पूर्ण होंगी ॥
= सुधाकर आशावादी =======

रविवार, 12 मई 2013

जीवन में नहीं सादगी,दुष्कर्मी विनियोग
जाने जग में आ गए  कैसे कैसे लोग ?
- आशावादी 
मुक्तक
जब जब बगिया में एक कोयल गाएगी
तब-तब उपवन की कोंपल हर्षाएगी
कोमल कलियाँ गीत लिखेंगी अधरों पर
हरियाली जीवन के गीत सुनाएगी ॥
- आशावादी 

शुक्रवार, 10 मई 2013

काँच का घर 
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चोट खायेगा तो चटख जायेगा 
ये काँच का घर है । 
मोम से क्यों बनाया इसे 
ये आँच का घर है । 
सरपरस्ती इसे भी चाहिए 
ये जाँच का घर है । 
द्रोपदी अब सुरक्षित नहीं 
ये पाँच का घर है ॥ 
- सुधाकर आशावादी 

मंगलवार, 7 मई 2013

muktak

एक मुक्तक प्रस्तुत है -
शुभ-रात्रि:
रात आती है तो मिट जाती है दिन की थकन 
न भोर की चिंता न याद है अब पेट की अगन  
चलो भूल जाएं दिन में बीते जो  गिले शिकवे 
मिले सौगात स्वप्निल ललके जीने की लगन ॥ 
---------आओ चले नींद के मीठे सफ़र पर------
- सुधाकर आशावादी