sudhasha
शुक्रवार, 16 नवंबर 2012
साँप की बेचैनी इस हद तक है
उसकी अपनी हद ही हद तक है
कैसे डसे कैसे फुंफकार मारे
कोई डरता नही अब
उसके जहर की हद से ।
=========== आशावादी
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