तुम्हे जीना नहीं आया , हमें मरना नहीं आया
कडकती बिजलियाँ सम्मुख हमें डरना नहीं आया
हजारो अवसरों पर मौत से लड़कर भी जिंदा हैं
गिरे हैं और संभले हैं मगर गिरना नहीं भाया |
घोर कुशासन भ्रष्टाचारी मारामारी है
विषम विषमताओं में जीना ही लाचारी है
किससे करें शिकायत किससे समाधान मांगे
सत्ता सिंघासन पर बैठी अब गांधारी है .
-डॉ. सुधाकर आशावादी
कडकती बिजलियाँ सम्मुख हमें डरना नहीं आया
हजारो अवसरों पर मौत से लड़कर भी जिंदा हैं
गिरे हैं और संभले हैं मगर गिरना नहीं भाया |
घोर कुशासन भ्रष्टाचारी मारामारी है
विषम विषमताओं में जीना ही लाचारी है
किससे करें शिकायत किससे समाधान मांगे
सत्ता सिंघासन पर बैठी अब गांधारी है .
-डॉ. सुधाकर आशावादी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें