समय चक्र का गठबंधन प्रगाढ़ हुआ जाता है
अबाध गति से पेंग बढ़ता नूतन वर्ष आता है
आओ विचारे कि अतीत में क्या खोया क्या पाया
यथार्थमयी चिंतन हित नूतन वर्ष है आया
आओ रचें नव गीत बुने न श्रृंगारिक सपने
आज संजोये मृदुभाव सुमन फिर जीवन में अपने .
- सुधाकर आशावादी
अबाध गति से पेंग बढ़ता नूतन वर्ष आता है
आओ विचारे कि अतीत में क्या खोया क्या पाया
यथार्थमयी चिंतन हित नूतन वर्ष है आया
आओ रचें नव गीत बुने न श्रृंगारिक सपने
आज संजोये मृदुभाव सुमन फिर जीवन में अपने .
- सुधाकर आशावादी
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