शनिवार, 31 दिसंबर 2011

nav varsh shubhkamna

समय चक्र का गठबंधन प्रगाढ़ हुआ जाता है
अबाध गति से पेंग बढ़ता नूतन वर्ष आता है
आओ विचारे कि अतीत में क्या खोया क्या पाया
यथार्थमयी चिंतन हित  नूतन वर्ष है आया
आओ रचें नव गीत बुने न श्रृंगारिक सपने
आज संजोये मृदुभाव सुमन फिर जीवन में अपने .
                              - सुधाकर आशावादी 

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