मन की बात
- डॉ. सुधाकर आशावादी
मैंने सोचा अपने मन की बात कहूँ
पर किससे मैं अपनेपन की बात कहूँ ?
जिसको समझा मैंने अपना मित्र यहाँ
वो बेगाना कैसे उस से ज़ज्बात कहूँ ?
दर्द सुना जिसने मेरा अपना बन कर
बिसराया उसने मैं कैसी घात कहूँ ?
जिससे मुझको कोई भी उम्मीद न थी
उसने साथ निभाया ये सौगात कहूँ ।
रक्त के रिश्तों से बढ़कर है प्रीत यहाँ
'सुधाकर'कैसे मन की सच्ची बात कहूँ ?
- डॉ. सुधाकर आशावादी
मैंने सोचा अपने मन की बात कहूँ
पर किससे मैं अपनेपन की बात कहूँ ?
जिसको समझा मैंने अपना मित्र यहाँ
वो बेगाना कैसे उस से ज़ज्बात कहूँ ?
दर्द सुना जिसने मेरा अपना बन कर
बिसराया उसने मैं कैसी घात कहूँ ?
जिससे मुझको कोई भी उम्मीद न थी
उसने साथ निभाया ये सौगात कहूँ ।
रक्त के रिश्तों से बढ़कर है प्रीत यहाँ
'सुधाकर'कैसे मन की सच्ची बात कहूँ ?
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