शनिवार, 3 मार्च 2012

man ki baat

             मन की बात

                              - डॉ. सुधाकर आशावादी
मैंने सोचा अपने मन की बात कहूँ
पर किससे मैं अपनेपन की बात कहूँ ?

जिसको समझा मैंने अपना मित्र यहाँ
वो बेगाना कैसे उस से  ज़ज्बात कहूँ ?

दर्द सुना जिसने मेरा अपना बन कर
बिसराया उसने मैं कैसी घात कहूँ ?

जिससे मुझको कोई भी उम्मीद न थी
उसने साथ निभाया ये सौगात कहूँ ।

रक्त के रिश्तों से बढ़कर है प्रीत यहाँ
'सुधाकर'कैसे मन की सच्ची बात कहूँ ?

                  

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