मुक्तक
नफरतें बोता रहा जो उम्र भर
नफरतों में उम्र भर जलता रहा
पर न घबराई सृजन की सोच भी
वो अकेला उम्र भर गलता रहा ।।
मुक्तक
भोर हुई तो टूटा आँखों का सपना
मीठी नींदों में कोई तो है अपना
आँख खुली तो अपनी अलग व्यथाएं हैं
पीड़ा में अब तो जीवन भर है खपना ।।
===== आशावादी
नफरतें बोता रहा जो उम्र भर
नफरतों में उम्र भर जलता रहा
पर न घबराई सृजन की सोच भी
वो अकेला उम्र भर गलता रहा ।।
मुक्तक
भोर हुई तो टूटा आँखों का सपना
मीठी नींदों में कोई तो है अपना
आँख खुली तो अपनी अलग व्यथाएं हैं
पीड़ा में अब तो जीवन भर है खपना ।।
===== आशावादी
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