रविवार, 14 अक्तूबर 2012

न जाने कितने हिसाब हैं जिंदगी की किताब में
न जाने कितने सवाल हैं जिंदगी की किताब में
लड़ते हैं रोज़ जंग हम अपनी जिंदगी से ही
लिखते  नए अध्याय जिंदगी की किताब में ।। 

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