sudhasha
गुरुवार, 19 मार्च 2015
मुक्तक :
मौन है, पर दह रहा अहसास का दरिया
सब व्यथाएं सह रहा अहसास का दरिया
तप्त धरती बंजर रिश्ते बर्फ सी संवेदना
हर हृदय में बह रहा अहसास का दरिया।
- सुधाकर आशावादी
मंगलवार, 17 मार्च 2015
हर कोई अपनी मनमानी पर अमादा है
कहीं उच्छ्रंखल आचरण, कहीं मर्यादा है
मित्रो जीवन सिर्फ नियम अनुशासन से
जिस से प्रकृति ने भी स्वयं को साधा है।
- सुधाकर आशावादी
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