हर कोई अपनी मनमानी पर अमादा है
कहीं उच्छ्रंखल आचरण, कहीं मर्यादा है
मित्रो जीवन सिर्फ नियम अनुशासन से
जिस से प्रकृति ने भी स्वयं को साधा है।
- सुधाकर आशावादी
कहीं उच्छ्रंखल आचरण, कहीं मर्यादा है
मित्रो जीवन सिर्फ नियम अनुशासन से
जिस से प्रकृति ने भी स्वयं को साधा है।
- सुधाकर आशावादी
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