sudhasha
मंगलवार, 14 अप्रैल 2015
मुक्तक :
प्राणी प्राणी जानता है परमसत्ता का वजूद
दंभ में स्वीकारता वह सिर्फ अपना ही वजूद
मंदिर मस्जिद में उलझा अब भ्रमित आदमी
भूल बैठा है प्रभु बिन कुछ नहीं उसका वजूद।
- सुधाकर आशावादी
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