गीतांश
जिन्दगी है एक विकट उपहास
और हम हैं महज़ कालीदास ।
अपनी जड़ को खोदते हैं वृक्ष
स्वार्थ पूरित मंत्रणा मय कक्ष
विद्वता को मिल गया बनवास
और हम हैं महज़ कालीदास ।।
जिन्दगी है एक विकट उपहास
और हम हैं महज़ कालीदास ।
अपनी जड़ को खोदते हैं वृक्ष
स्वार्थ पूरित मंत्रणा मय कक्ष
विद्वता को मिल गया बनवास
और हम हैं महज़ कालीदास ।।
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