शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

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++गुस्ताखी माफ़ ++
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वो जो आइना हज़ार बार देखता है 
उस चेहरे को बार-बार बदल कर 
चेहरे की किताब पर दिखलाता है 
वह भूल जाता है- 
चेहरा नहीं है उसकी वास्तविक पहिचान 
विचारों से उसका सारा जहान ।
सो-
अपने आप से तू प्यार कर
एक बार नहीं हज़ार बार कर
मगर ध्यान रहे इतना
अपनी सूरत पर मत इतरा
सूरत में तूने क्या है गढ़ा
यह तो किसी की निशानी है
सूरत तो तेरी जानी पहिचानी है
पर तेरी कहानी का सार
तेरी सीरत बताएगी
तेरी सूरत तब काम नहीं आएगी ।।
- सुधाकर आशावादी

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