sudhasha
गुरुवार, 7 नवंबर 2013
muktak
उलझनें कितनी भी आयें पर मुझे चलना तो है
व्याधियाँ कितनी भी घेरें पर मुझे लड़ना तो है
है यही निष्कर्ष जीवन की सहेली पुस्तिका का
श्वाँस की गति संग जीवन पाठ ही पढ़ना तो है ।
- सुधाकर आशावादी
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