देश में स्वार्थपरता इस हद तक बढ़ चुकी है कि किसी गैर ब्राह्मण के द्वारा आत्महत्या किये जाने पर सारा दोष ब्राह्मणवाद के मत्थे मंढने का कुचक्र चला दिया जाता है। सवाल यह है कि आरक्षण के चलते योग्यता की उपेक्षा पर यदि कोई ब्राह्मण आत्महत्या करने पर विवश हो , तो वह किसके विरुद्ध आंदोलन चलाये ?
- सुधाकर आशावादी
- सुधाकर आशावादी
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