बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

चंद पंक्तियाँ > भूख के नाम

भूख लिखता हूँ प्यास लिखता हूँ
तभी तो मैं कुछ ख़ास दिखता हूँ।
सही कीमत यदि नहीं मिलती
मित्रों फिर मैं उदास दिखता हूँ।
राष्ट्र-पूजा मेरा मेरी इबादत हैं
रोज मैं आमो-ख़ास लिखता हूँ।
खूब नफ़रत मुझे सियासत से
फिर भी मैं आस पास फिरता हूँ।
भूखों की भूख लिख लिख कर
मैं तो काजू बादाम चरता हूँ।
भूख के चित्र मुझको भाते हैं
संग उनके मैं रोज तरता हूँ।
- सुधाकर आशावादी

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