मुक्तक
चल रहे हैं दौर विष के देवता के आवरण में
रात की काली लता है भोर के पहले चरण में
देश का दुर्भाग्य चिंतन क्या भला तुलसी करेगा
साथ देते हैं जटायु आज के सीता हरण में .
- सुधाकर आशावादी
चल रहे हैं दौर विष के देवता के आवरण में
रात की काली लता है भोर के पहले चरण में
देश का दुर्भाग्य चिंतन क्या भला तुलसी करेगा
साथ देते हैं जटायु आज के सीता हरण में .
- सुधाकर आशावादी
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