गुरुवार, 23 अगस्त 2012

                     मुक्तक
घर की बैठक में पापा का रौब ज़माना
और चौके में मम्मी का ही आना जाना
बहुत दिनों के बाद याद उनकी आई है
कैसे सीखें अपनेपन की प्रीत निभाना ।।

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