मुक्तक
संकीर्णता के दायरे से बाहर आओ
विकलांगता के दायरे में मत समाओ
है भरोसा बाजुओं की शक्ति पर यदि
स्वाभिमानी बन स्वयं को आजमाओ ।।
संकीर्णता के दायरे से बाहर आओ
विकलांगता के दायरे में मत समाओ
है भरोसा बाजुओं की शक्ति पर यदि
स्वाभिमानी बन स्वयं को आजमाओ ।।
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