sudhasha
सोमवार, 27 अगस्त 2012
हादसों के शहर में रोज होते हादसे
बढ़ रही हैं दूरियां बढ़ रहे हैं फांसले
आज किसको कैसे कहें अपना यारों
बढ़ गए हैं आज देखो नफरतों के हौंसले
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