गुरुवार, 30 अगस्त 2012

            मुक्तक
हम सियासत के खिलौने हैं
संकीर्ण चिंतन के बिछौने हैं
हम सियासत के बने हैं दाँव
सत्ता सम्मुख आज बौने हैं ।।

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