कुछ पंक्तियाँ :
तू नहीं और सही और नहीं और सही
कुछ तूने भी कही कुछ मैंने भी कही
कुछ तूने भी सही कुछ मैंने भी सही
फिर भी कुछ बातें रह गयी अनकही ।
अब रूठ के जाना था तो दगा क्यों दी मुझको
लिव इन रिलेशन था सिर्फ सजा क्यों मुझको ?
एक सवाल बार बार मेरे जेहन में ये आता है
मुई सियासत का, रिश्तों से क्यों ना नाता है ?
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