sudhasha
शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014
जीवन तो चलता रहता है कभी धूप में कभी छाँव में
दिनचर्या चलती रहती है कभी शहर में कभी गाँव में
आना-जाना सुख-दुःख सारे रहते पल-पल जीवन संग
पतवार नियन्ता थामे सबकी, तुम तो जीवन नाव में।
- सुधाकर आशावादी
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