मुक्तक
सूर्य के आगमन से तम को छँटना है
भोर के नवजागरण से पुष्प खिलना है
चिरनिद्रा में आदमी को सना है एक बार
नित्य सोकर के उसे अभ्यास करना है ।
सूर्य के आगमन से तम को छँटना है
भोर के नवजागरण से पुष्प खिलना है
चिरनिद्रा में आदमी को सना है एक बार
नित्य सोकर के उसे अभ्यास करना है ।
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