सूरज को दीपक दिखलाना बंद करो
अच्छाई पर मुंह बिचकाना बंद करो
सच्चाई कब लाख छुपाये छुपती है
जो सच है उसको झुठलाना बंद करो
फिर नसों में रक्त का संचार हो
स्वार्थ पूरित न कोई विस्तार हो
राष्ट्र चिंतन से जुड़े हर आचरण
सर्जनाओं से भरा संसार हो ।।
-डॉ. सुधाकर आशावादी
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