sudhasha
गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012
muktak
परिंदे हैं तो ऊँची उड़ान है
उनका मुकम्मल जहान है
उड़ने दें बेख़ौफ़ नभ में
उनका ही ये आसमान है ।
- आशावादी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें