शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

मुक्तक :
हम रहे कुछ विवादों में उलझे हुए 
कहते स्वयं को रहे हम सुलझे हुए 
यदि तुम गलत हम भी सुधरे नहीं 
आओ देखें तनिक पीछे मुड़ते हुए ।।
- सुधाकर आशावादी 
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हिचकियाँ पास लाती हैं यादें तेरी 
कनखियाँ भी बुलाती हैं यादें तेरी 
घूमता हूँ कभी प्रेम उपवन में मैं 
पुष्प गंधों से आती हैं यादें तेरी ।।
-  सुधाकर आशावादी 

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