एक सच यह भी :
मैंने यूँ ही सच कह दिया मज़ाक मज़ाक में
मैंने यूँ ही सच कह दिया मज़ाक मज़ाक में
और तुम बुरा मान गए
सच ...आज का सच ही मज़ाक है
क्योंकि झूठ जो बन चुका है
आज का हसीन सच
सो कड़वा सच अपनी कडवाहट में ही
दम तोड़ने हेतु विवश है
तो बताओ ...आखिर क्यूँ तुम्हे मजाक में भी
सच स्वीकार क्यों नहीं ....?
- सुधाकर आशावादी
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