sudhasha
सोमवार, 25 फ़रवरी 2013
समाज के
दोगले चरित्रों को देखकर
यही लगता है
गिरगिट
घर घर में बसता है ।
- सुधाकर आशावादी
1 टिप्पणी:
RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा
3 मार्च 2013 को 9:10 am बजे
इन दिनों आपकी छोटी कविताएँ खूब चुटीली हो गई हैं.
नमन!
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इन दिनों आपकी छोटी कविताएँ खूब चुटीली हो गई हैं.
जवाब देंहटाएंनमन!