शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

मुक्तक  :
चाँद निहारा मैंने अपने घर-आँगन से 
भरे अमृत के कलश उसी के दर्शन से 
धवल चाँदनी ने चंदा से मुझे मिलाया 
प्रीत पगी यादों ने सारी रात जगाया ।।
- आशावादी    
chaand nihara maine apne ghar aangan se 
bhare amrit ke kalash usi ke darshan se 
dhawal chaandni ne chanda se mujhe milaya 
preet pagi yadon ne sari raat jagaya .
- SUDHAKAR AASHAWADI 

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