मुक्तक :
चाँद निहारा मैंने अपने घर-आँगन से
भरे अमृत के कलश उसी के दर्शन से
धवल चाँदनी ने चंदा से मुझे मिलाया
प्रीत पगी यादों ने सारी रात जगाया ।।
- आशावादी
chaand nihara maine apne ghar aangan se
bhare amrit ke kalash usi ke darshan se
dhawal chaandni ne chanda se mujhe milaya
preet pagi yadon ne sari raat jagaya .
- SUDHAKAR AASHAWADI
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