मुक्तक:
व्यक्ति की पूजा यहाँ है कर्म को न पूजते
हैं कुटिल मन-भावनाएं मर्म को न पूजते
आज उपदेशक बहुत देते हैं परउपदेश जो
है अधर पर धर्म लेकिन धर्म को न पूजते ।।
- सुधाकर आशावादी
व्यक्ति की पूजा यहाँ है कर्म को न पूजते
हैं कुटिल मन-भावनाएं मर्म को न पूजते
आज उपदेशक बहुत देते हैं परउपदेश जो
है अधर पर धर्म लेकिन धर्म को न पूजते ।।
- सुधाकर आशावादी
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