रविवार, 3 फ़रवरी 2013

जिंदगी की पुस्तक में क्या मैं आज लिखूँ
अपना कल और आज का अहसास लिखूँ
सोचता हूँ मुश्किल है सच को सच कहना
सो अच्छा लगता है मुझे अब चुप रहना  ।।
- सुधाकर आशावादी

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