शनिवार, 2 फ़रवरी 2013


बसन्त की चाह में ;;;;
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जब पतझर आगमन से झरेंगे शाख से पत्ते 
तब-तब हरा होने के लिए मचलेगी कामनाएं 
फिर आएगा मधुमास बासन्ती वसन पहिन 
तब आएगी याद भरेगी गंध हमारी श्वांसों में । 
मत आना तुम कभी सामने अब मेरे 
बरसों बीते याद ह्रदय में बसी हुई 
यदि हुई साकार समझ न पाऊंगा 
तुम हो या मेरा मन है भ्रमित कहीं ?
तुम रहना बस मेरी मधुरिम यादों में  
मेरे अन्तस के प्रीत भरे मधुमासों में 
चाहूँ हर पल रचूँ तुम्हारे गीत प्रिये 
सो सपनों में आते रहना मीत प्रिये ।।
- सुधाकर आशावादी 

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