बसन्त की चाह में ;;;;
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जब पतझर आगमन से झरेंगे शाख से पत्ते
तब-तब हरा होने के लिए मचलेगी कामनाएं
फिर आएगा मधुमास बासन्ती वसन पहिन
तब आएगी याद भरेगी गंध हमारी श्वांसों में ।
मत आना तुम कभी सामने अब मेरे
बरसों बीते याद ह्रदय में बसी हुई
यदि हुई साकार समझ न पाऊंगा
तुम हो या मेरा मन है भ्रमित कहीं ?
तुम रहना बस मेरी मधुरिम यादों में
मेरे अन्तस के प्रीत भरे मधुमासों में
चाहूँ हर पल रचूँ तुम्हारे गीत प्रिये
सो सपनों में आते रहना मीत प्रिये ।।
- सुधाकर आशावादी
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